संबंधों का मतलब है जीवनयात्रा का आनंद प्राप्त करना इस स्थिति में भ्रम अधिक पैदा होता है

संबंधों का मतलब है साथ सहयोग द्वारा जीवनयात्रा का आनंद प्राप्त करना, समस्याओं का मिलजुल कर हल निकालना और सही मंजिल तक पहुंचना

मानसिक समस्याओं की आग तीक्ष्ण न बने, यह देखने की जिम्मेदारी पतिपत्नी दोनों की ही है परंतु कुछ लोग स्वभाव से पलायनवादी होते हैं.

जीवन में अनेक मौकों पर पलायनवाद की अपेक्षा मुकाबला करने की हिम्मत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. जिम्मेदारी से भागने से यह कम नहीं होती, जबकि और समस्याएं पैदा करती है.

मात्र आर्थिक जिम्मेदारी ही नहीं, तमाम ऐसे लोग हैं जो घर के छोटेमोटे कामकाज की जिम्मेदारी से भी भागते हैं. जैसे किसी छोटीमोटी बीमारी में डाक्टर के यहां जाने में बहाने बनाते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है तो दूसरे को परेशान करते हैं. ऐसे लोग इस भ्रम में रहते हैं कि किसी जादुई छड़ी से सारी समस्याओं का हल निकल आएगा. एक आदमी बचने का रास्ता खोजता है तो दूसरों की जिम्मेदारी और तनाव दोनों बढ़ जाते हैं.

 ऐसे भी लोग हैं जो गुस्से से भागते हैं. जीवनसाथी के गुस्से वाले स्वभाव के कारण चुप रह जाना, घर के बाहर निकल जाना या टीवी में लग जाना, ऐसे तमाम लोग देखने को मिल जाएंगे. ऐसे लोगों की वजह से सामने वाले व्यक्ति को मनमानी करने का मौका मिलेगा. चुप रह कर व्यक्ति खुद अपनी कीमत जीरो कर लेता है. किसी भी मामले की अनदेखी करने से वह दूर होने के बजाय और अधिक बढ़ती है.

ज्यादातर पुरुष औरतों के आंसुओं से डर कर मौन के दरिया में डुबकी मार लेते हैं और गलत निर्णय ले लेते हैं. संघर्ष और तनाव से डरने वाले लोग समस्याओं और निर्णय को पीछे धकेलते हैं. वास्तव में उचित समय पर सवालों को उठाना सफलता की पहली निशानी है. जिंदगी में जीतने के लिए जोखिम और प्रयास दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं.

सही हल खोजने के बजाय इधरउधर भटकने से नुकसान ही होता है. उचित समय पर निर्णय न लेने से बाद में पछताना ही पड़ता है. पलभर की शांति लंबी अशांति खड़ी कर सकती है.

error: Content is protected !!