देशभर में ट्रांसपोर्ट यूनियनों नए भारतीय न्याय संहिता के अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं. विशेष रूप से यूनियनों नए कानून के तहत हिट-एंड-रन मामलों के संबंध में प्रस्तावित कड़े प्रावधानों को लेकर चिंतित हैं.नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर चले गए हैं. देशभर में ट्रांसपोर्ट यूनियनों नए भारतीय न्याय संहिता के अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं. उन्होंने कानून को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है.

भारतीय न्याय संहिता के तहत हिट-एंड-रन मामले के नए प्रावधानों के मुताबिक, अगर कोई आरोपी ड्राइवर सड़क हादसे के बाद अधिकारियों को बिना सूचना दिए बिना दुर्घटना स्थल से भाग जाता है तो उसे 10 साल की जेल की सजा काटनी पड़ेगी. साथ ही साथ जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है.

नए कानून को दो श्रेणियों में रखा गया है. पहला, ‘लापरवाही से मौत का कारण’, अगर कोई आरोपी ड्राइवर मौत का कारण बनता है तो वह गैर इरादतन हत्या नहीं है. उसे अधिकतम पांच साल की जेल की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. दूसरा, कोई ड्राइवर लापरवाही या असावधानी से गाड़ी चलाकर किसी की मौत का कारण बनता है और भाग जाता है. साथ ही घटना के बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है, तो उसे जुर्माना के साथ-साथ दस साल तक की जेल का सामना करना पड़ेगा.

मौजूदा समय में पहचान के बाद हिट-एंड-रन मामलों के आरोपियों पर धारा 304 ए के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें अधिकतम दो साल की जेल की सजा होती है.

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